वो दर्द भी खास था 😢
एक दिन बैठे बैठे ,पूछ बैठी माँ से
तूने बहुत दर्द सहे होंगे
हम सबकी खुशी के लिए
पर वो कौन सा दर्द था
जिससे मिली हो आपको असीम खुशी
बन गया हो आपकी जिंदगी का सबसे खास दर्द
थोड़ा मुस्कराकराई ,आँखो मे नमी थी
पर ढक गयी थी उसके ममता और प्यार से
लग रही थी वो ममता की देवी
गंभीरता की प्रतिमूर्ति
मानवीय गुण जैसे उसका स्वभाव हो
बोली वो शब्दों को चुराते हुए
नौ महीनो का दर्द भी था कठिन
पर तेरे अहसास के सामने छोटा था
तेरे बारे मे सोचकर मैं दर्द भूल जाती
तुम जैसे अमूल्य तोहफे मिले मुझे
यूँ छोटे मोटे दर्द होते गए
और फिर बारी आयी तुझे विदा करने की
तेरे ब्याह की सारी तैयारियाँ हो रही थी
मैं व्यस्त थी तैयारियों मे
इससे बड़ा दर्द क्या होगा
बारी तेरे विदाई की आयी
सबकी आँखो मे आँशू थे
मेरा दिल बैठा जा रहा था
पर एक सुकून भी था
समाज के कठोर नियमों के पालन करने का
बेटी के प्रति दायित्वों को पूर्ण करने का
तू मेरी खुशी थी
पर फिर भी तेरे खुशी जीवन के लिए
वो विदाई का पल बहुत खास था
दर्द दिल मे था बहुत
पर वो दर्द भी खास था
रचनाकार---अंजली मिश्रा ✒✒